रंजीत श्रीवास्तव ब्यूरो चीफ हरदोईहरदोई। टपक और फव्वारा पद्धति से फसलों को कम पानी से भरपूर सिंचाई मिल जाती है। सरकार इसके जरिये पानी की बर्बादी को रोकने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। प्रोत्साहन के रूप में इस पद्धति से सिंचाई की व्यवस्था के लिए किसानों को 90 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है।
फव्वारा (स्प्रिंकलर) सिंचाई विधि से फसलों में पानी को छिड़काव की तरह दिया जाता है। इस तरीके से फसल के पौधों पर पानी बारिश की बूंदों की तरह पड़ता है, जिससे पानी की बचत होने के साथ ही फसली पौधे बारिश की तरह भींगते है।
कृषि विभाग के अनुसार सरसों और दलहनी फसलों के लिए फव्वारा सिंचाई करना लाभदायक होता है। मिट्टी में नमी बनने के साथ पौधों को ठीक तरह से पानी मिलता है।
उर्वरकों एवं कीटनाशकों आदि का भी साथ में छिड़काव किया जा सकता है। शाक भाजी एवं मसाला खेती के लिए टपक सिंचाई विधि से पौधों को पानी देने से खर्च कम होता है।
उद्यान निरीक्षक अजय कुमार ने बताया कि किसानों को नई विधियों से फसलों की सिंचाई करने के लिए शासन से प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को स्प्रिंकलर, पोर्टेबल स्प्रिंकलर, ड्रिप इरीगेशन, रेनगन के लिए पाइप लाइन आदि बनाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है।
ड्रिप यानी टपक सिंचाई विधि बागवानी करने वालों के लिए बेहद कारगर है। इसका उपयोग केला, पपीता, नींबू, करौंदा के साथ सब्जियों को उगाने मेें भी किया जाता है। टपक सिंचाई विधि में खेत या बाग में पाइप लाइन डाल दी जाती है और जहां पर पौधा होता है।
वहीं से पाइप के माध्यम से पानी देने की व्यवस्था की जाती है। इससे सभी पौधों तक समान रूप से पानी पहुंचता है। इसी तरह से फव्वारा विधि से पाइप के जरिये व्यवस्था होती है।
वर्जन
उद्यान विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराकर योजना का लाभ किसान उठा सकते हैं, किसी प्रकार की जानकारी के लिए उद्यान विभाग से संपर्क किया जा सकता है। - सुरेश कुमार, जिला उद्यान अधिकारी