अमन क्राइम न्यूज़ हरदोई -ब्यूरो चीफ रंजीत श्रीवास्तव
हरदोई: पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को हरदोईवासी कभी भूल नहीं पाएंगे। 25 दिसंबर को उनकी जयंती मनाई जाएगी। अटल जी ने लखनऊ को कर्मभूमि बनाया था, तो हरदोई से भी उनका गहरा नाता रहा। आजादी के पहले और बाद में भी वह हरदोई के हर सुख-दु:ख में शामिल हुए। अटल जयंती पास आने से बुजुर्गों द्वारा बताए गए उनके संस्मरण भी लोगों को याद आ रहे हैं। अटल यादों को देखें तो 1945 में आरएसएस के प्रचारक के रूप में 1945 में संडीला कस्बा में रुककर वह पैदल ही गांव-गांव घूमे थे। बुजुर्ग बताते हैं कि संडीला में अटल जी ने करीब दो माह तक संघ के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम किया था। प्रचारक बनकर पैदल ही गांवों का भ्रमण करते थे। महिला अस्पताल के पीछे लाला लक्ष्मन प्रसाद कपूर का धर्मशाला में संघ का कार्यालय संचालित था। अटल जी इसी धर्मशाला की एक कोठरी में ठहरे थे। जोकि जीर्णशीर्ण थी और एक चटाई बिछी रहती थी। अटल जी के लिए कस्बा में बारी बारी घरों से खाना आता था। हरदोई से रिश्तों को देखें तो 1949 में गांधी हाल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अटल जी, पं. सिद्ध गोपाल अग्निहोत्री के साथ ट्रेन से लखनऊ से आए थे। 1974 में पीके टंडन के यहां एक कवि गोष्ठी में भागीदारी की। यहीं रात्रि विश्राम किया। चुनावी सभाओं में तो अटल जी ने हवाओं का ही रुख बदल दिया था। वर्ष 1991 में पूर्व मंत्री स्वर्गीय गंगाभक्त सिंह और पूर्व विधायक गंगा सिंह चौहान के समर्थन में 1996 में हरपालपुर में जनसभा की थी तो 1996 के चुनाव में स्वर्गीय गंगा भक्त सिंह के समर्थन में आए थे। 1992 में सांडी कस्बे में बिजली कटौती के विरोध में आंदोलन कर रहे सांडी कस्बा निवासी भाजपा कार्यकर्ता जितेंद्र रस्तोगी की पुलिस की गोली से मौत हो गई थी तो 11 मई 1992 को अटल जी जितेंद्र के घर पहुंचे थे और आंगन में मोढ़ा पर बैठकर पारिवारिक जनों को सांत्वना थी। 28 फरवरी 1996 को वह कार से हरपालपुर से खसौरा तक गए थे।