हाथरस में साजिश के तार फैलते जा रहे हैं. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से लेकर भीम आर्मी और विदेशी फंडिंग से लेकर खनन माफिया तक से कनेक्शन जुड़ने के संकेत मिल रहे हैं. सबसे बैंक खाते खंगाले जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि पैसे विदेशों से आए और दंगा गैंग तक पहुंचाए गए.
गौरतलब है कि हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश को जलाने की साजिश का दावा किया जा रहा है. जांच एजेंसियों ने साजिश की सुपारी देने वालों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. जैसे-जैसे इस मामले में जांच आगे बढ़ रही है. हर दिन नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं.
यूपी की शांति को भंग करने की साजिश में पीएफआई का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने उसके मुखपत्र के संपादक को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार संपादक शाहीन बाग के पीएफआई दफ्तर का सचिव भी था. पुलिस उसे रिमांड पर लेने की कोशिश कर रही है ताकि पूछताछ के बाद जांच को आगे बढ़ाया जा सके.
इस बीच हिंसा फैलाने के इस खेल में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पुलिस की जांच में पीएफआई और भीम आर्मी की मिलीभगत भी सामने आई है. दंगों की साजिश के लिए विदेशी फंडिंग के खुलासे के बाद पुलिस ने कई बैंक ट्रांजेक्शन की जांच की है. जांच में संकेत मिले हैं कि पीएफआई ने भीम आर्मी को भी दंगे फैलाने के लिए फंडिंग की.हालांकि जांच एजेंसियां अभी कुछ और बैंक ट्रांजेक्शन खंगालने में जुटी हैं, जिससे साजिश के इस गठजोड़ से पूरी तरह पर्दा उठ सके. पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार किए गए पत्रकार के एक बैंक एकाउंट से भारी बैंक ट्रांजेक्शन हुआ है. उसके बाकी बैंक एकाउंट्स की तलाश भी की जा रही है.
इतना ही नहीं साजिश के तार कहां-कहां तक फैले हैं. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पश्चिमी यूपी के एक खनन माफिया के भी इस मामले में फंडिग के सुराग सामने आ रहे हैं. उसका नाम चीनी मिल घोटाले में भी शामिल है. सरकार का दावा है कि हाथरस में हिंसा होती तो पश्चिमी यूपी चपेट में आता. इंसाफ की आड़ में कितना खतरनाक खेल रचा जा रहा है.
इस बीच पीएफआई के गिरफ्तार चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और पीएफआई की तरफ से सफाई सामने आई है. पीएफआई की सफाई चाहे जो हो लेकिन बार बार हिंसा के मामले में उसका नाम सामने आने के बाद शक गहराता जा रहा है. अब इस मामले में ईडी की भी एंट्री हो चुकी है. मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर सकती है