अमन क्राइम न्यूज़ हरदोई -ब्यूरो चीफ रंजीत श्रीवास्तव
हरदोई। पारंपरिक खेती में नवीनतम पद्धति का प्रयोग किसानों के लिए आर्थिक संपन्नता की राह खोल सकता है। इस बात को साबित किया है सुरसा विकास खंड क्षेत्र के मलिहामऊ निवासी प्रगतिशील किसान श्यामजी मिश्रा ने। उन्होंने जिले में केले का पहला क्लस्टर स्थापित किया है। साथ ही फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) स्थापित कर करीब एक हजार किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया है। एफपीओ का नाबार्ड से पंजीकरण कराकर इसमें 13 प्रगतिशील और अन्य 1000 किसानों को जोड़ा है। इससे किसानों की बेहतरी के कई रास्ते खुलेंगे।
खेती-किसानी में अपने अभिनव प्रयोगों के लिए 39 वर्षीय श्याम पूर्व में मुख्यमंत्री से भी सम्मानित हो चुके हैं। वर्तमान में केले का क्लस्टर स्थापित करने के लिए चर्चा में हैं। श्याम ने मलिहामऊ में 10 एकड़ (50 बीघा) जमीन पर आठ हजार केले के पेड़ लगाए हैं। एक पेड़ में औसतन 20 किलो केले की उपज मिल रही है। इस हिसाब से आठ हजार पेड़ों में 1600 क्विंटल की पैदावार एक बार में हो रही है।
श्याम ने बताया कि अभी जिले में कच्चा केला महाराष्ट्र व बिहार से आता है। इन जगहों से आने वाला केला 12 रुपये प्रति किलो की दर से मिलता है। जिले में पहुंचने तक बड़ी मात्रा में केला खराब या दागी हो जाता है। इससे विक्रेताओं को नुकसान उठाना पड़ता है। क्लस्टर का फायदा यह होगा कि जिले में ही केले की उपज होगी। यहीं पर बिना दाग या खराबी के किसानों को 12 रुपये प्रतिकिलो की दर से केला मिलेगा। पका केला व्यापारियों-किसानों को 16 रुपये किलो तक दिया जा सकता है। विक्रेता बाजार में अपने मुताबिक बिक्री कर सकते हैं। ।
छोटे किसानों के लिए वैल्यू एडीशन
श्याम ने कहा कि केले की खेती को उन्होंने वैल्यू एडीशन का नाम दिया है। छोटे किसान पारंपरिक खेती से हटकर कुछ नया करना चाह रहे हैं तो वे वैल्यू एडीशन शुरू कर सकते हैं। बुवाई से लेकर दवा के छिड़काव और फसल को पकाने तक की जानकारी वह खुद देंगे। कच्चा केला उपजाने वाले किसान उनके क्लस्टर में फसल पका भी सकते हैं। केले की खेती में 10 साल बाद बीटल रोग लग जाता है। अच्छी बात यह कि जिले में अभी केले की पैदावार बहुत नहीं होती। साफ है कि जिले के किसान 10 साल तक मुनाफा कमा सकते हैं।
पंजाब के बाद देश में चमकाया था हरदोई का नाम
श्याम ने इससे पहले मूली का चार एकड़ में उत्पादन किया था। दिल्ली की एक कंपनी से टाइअप करके उन्होंने 20 बीघा में मूली उगाकर उसकी राख बनाई। पंजाब के बाद उत्तर प्रदेश का हरदोई पहला जिला था, जहां दवाओं के लिए इतने वृहद स्तर पर मूली की उपज की गई। श्याम दुग्ध क्लस्टर भी लगा चुके हैं। युवा कल्याण विभाग की ओर से युवा दिवस पर श्याम को प्रतिभाशाली युवा के रूप में मुख्यमंत्री की ओर से सम्मानित भी कराया जा चुका है। श्याम ने बताया कि भविष्य में वह केले का पाउडर भी तैयार करेंगे। केले का पाउडर बच्चों को कुपोषण से दूर करने के लिए कई दवाओं में भी प्रयोग किया जाता है।
बहराइच जाकर ली थी खेती की जानकारी
श्याम ने बताया कि जब उन्होंने अपने यहां मूली की उपज की थी तो बहराइच के राजा जय सिंह के दामाद वीरेंद्र पासी मिलने आए थे। उन्होंने अपने यहां एक हजार एकड़ में केले की फसल होने की बात बताई थी। इसके बाद पिछले साल वह बहराइच गए और केले की खेती की जानकारी सीख कर आए। बताया कि टिश्यू कल्चर तकनीक से निर्मित जी नाइन श्रेणी के केले की पौध लगाई। कीटों व बीमारियों से बचाने के लिए खेत को साफ रखने की कोशिश की।